Do you want to know what is Apathit Gadyansh, or looking for some examples of Apathit Gadyansh? Ever faced a Hindi text you haven’t seen before? That’s the world of Apathit Gadyansh, “Unseen Passages” in Hindi. It’s not just a test of understanding; it’s a treasure hunt for meaning hidden within unfamiliar lines.

Here we will discuss more than 15 examples of Apathit Gadyansh with Answer. Join us on this guided expedition, and together, let’s practice the Apathit Gadyansh in Hindi. Or you can download these Apathit Gadyansh as a PDF by clicking the link below.

Contents show

15 Best Apathit Gadyansh:

Here are more than 15 apathit gadyansh in hindi. Make sure to practice all of them.

Apathit Gadyansh 1. पाठशाला की यादें:

छोटी सी कच्ची बनी इमारत, छत पर हरे भरे बेल बूटे, टूटी-फूटी खिड़कियाँ हवा के झोंकों के साथ बातें करतीं, और एक बड़ा आंगन जहाँ बचपन हँसता, खेलता, और सीखता था। वो पाठशाला न बड़ी थी, न शानदार, पर हमारे सपनों का महल जरूर थी। मास्टरजी की सधी डांट में प्यार छिपा होता था, हाथ में छड़ी कुरसी की लय के साथ ताल देती, पाठ को राग बना देती।

किताबों से निकलकर किस्से कक्षा में घूमते, इतिहास के पन्ने सजीव हो जाते, भूगोल के नक्शे पर कल्पना के जहाज उड़ते। दोपहर का नाश्ता बटकर खुशियाँ दोगुनी हो जातीं, मिट्टी के बर्तनों में बंद खुशबू बचपन की सबसे मीठी याद बन जाती। वो पाठशाला सिर्फ चार दीवारी न थी, वो दोस्ती, जिज्ञासा, और उम्मीदों का गढ़ थी। जहाँ सपने पंख लगाते थे, जहाँ बचपन हँसता था, वो पाठशाला हमेशा यादों में महकती रहेगी।

प्रश्न:

  1. लेखक ने पाठशाला को कैसा बताया है?
  2. मास्टरजी के बारे में कैसा चित्रण किया गया है?
  3. दोपहर के नाश्ते का उल्लेख क्यों किया गया है?
  4. लेखक पाठशाला को क्या मानता है?
  5. आखिरी वाक्य का क्या अर्थ है?

उत्तर:

  1. लेखक ने पाठशाला को छोटी, साधारण, पर प्यार भरी जगह के रूप में चित्रित किया है।
  2. मास्टरजी सख्त होते हुए भी प्यार करने वाले और शिक्षा को रसपूर्ण बनाने वाले शिक्षक के रूप में दिखाए गए हैं।
  3. दोपहर के नाश्ते का उल्लेख सरलता, साझा खुशी, और बचपन की मीठी यादों को दर्शाने के लिए किया गया है।
  4. लेखक पाठशाला को सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि दोस्ती, जिज्ञासा, और उम्मीदों के साथ भरे एक महत्वपूर्ण स्थान के रूप में मानता है।
  5. आखिरी वाक्य बताता है कि पाठशाला की यादें लेखक के दिल में हमेशा खुशबू की तरह बनी रहेंगी।

Apathit Gadyansh 2. बूढ़ी अम्माँ की चाय की दुकान :

गाँव के चौराहे पर, बरगद के विशाल पेड़ की छाँव में बूढ़ी अम्माँ की चाय की दुकान एक छोटा-सा संसार है। सुबह की किरणें बरगद के पत्तों से छनकर चाय के गर्म भाप पर सोने की धारियाँ बनाती हैं। मिट्टी के कुल्हड़ में चाय की सुगंध हवा में तैरती है, जिसे सूँघते ही थकान हवा हो जाती है।

अम्माँ की चाय सिर्फ स्वादिष्ट नहीं, बल्कि साथ में हँसी-मज़ाक और कहानियों का एक पूरा पैकेज है। हर चुस्की के साथ वो गाँव की पुरानी बातें सुनाती हैं, कभी हंसाती हैं, कभी सोचने पर मजबूर करती हैं। उनकी दुकान गाँव का चौपाल है, जहाँ हर शाम किसान, मजदूर, बच्चे सब इकट्ठा होते हैं। चाय के साथ गाँव की खबरें चलती हैं, गम बांटे जाते हैं, हँसी के ठहाके गूंजते हैं।

अम्माँ की चाय में सिर्फ दूध और पत्ती नहीं, बल्कि गाँव का प्यार, अपनापन और ज़िन्दगी का सार घुला होता है। वो एक कप चाय नहीं, बल्कि रिश्तों की गर्मी और खुशियों का तोहफा देती हैं।

प्रश्न:

  1. बूढ़ी अम्माँ की चाय की दुकान का वातावरण कैसा है?
  2. अम्माँ की चाय को खास क्या बनाता है?
  3. अम्माँ की दुकान गाँव के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
  4. आप क्या सोचते हैं, ऐसी छोटी-छोटी जगहें हमारे जीवन में क्यों ज़रूरी हैं?
  5. क्या आपके गाँव या शहर में भी कोई ऐसी जगह है जो बूढ़ी अम्माँ की चाय की दुकान की तरह ही है?

उत्तर:

  1. बूढ़ी अम्माँ की चाय की दुकान का वातावरण शांत, सुकून देने वाला और हँसी-मज़ाक से भरा हुआ है।
  2. अम्माँ की चाय का स्वाद, उनकी कहानियाँ और प्यार भरा व्यवहार उन्हें खास बनाता है।
  3. अम्माँ की दुकान लोगों को मिलने-जुलने, बातचीत करने और रिश्तों को मजबूत करने का मौका देती है। वो गाँव की संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  4. ऐसी छोटी-छोटी जगहें हमें समुदाय के साथ जुड़ने, रिश्ते बनाने और ज़िन्दगी के छोटे-छोटे पलों का आनंद लेने का मौका देती हैं।
  5. हाँ, मेरे गाँव में भी चौराहे पर एक चाय की दुकान है जो बूढ़ी अम्माँ की दुकान की तरह ही सबको इकट्ठा करती है और खुशियाँ बांटती है।

Apathit Gadyansh 3. सीख की चौपाल:

स्कूल की घंटी ने बजकर दिन की निंद्रा भंग कर दी. सूरज की सुनहरी किरणें कक्षा की खिड़कियों से झांकते हुए सीधे मेरी बेंच पर टकराईं. आस-पास के बच्चे धीरे-धीरे कमरे में भरते जा रहे थे, कुछ मस्ती भरे शोरगुल के साथ, कुछ शांत मुस्कान के साथ. किताबें खुलने, पेंसिलें नोंचने और शिक्षक के आने की प्रतीक्षा के बीच एक खास तरह की गुनगुनाहट हवा में घुल-मिल रही थी.

श्री दत्त जी, हमारे अध्यापक, हर रोज़ किसी नई कहानी के खजाने के साथ कक्षा में प्रवेश करते. आज का विषय था – जंगल. उनके शब्दों के जादू में बंधकर हम उष्ण कटिबंध के घने जंगलों में खो गए. पेड़ों की फुसफुसाती पत्तियाँ, चिड़ियों का कलरव, पंजे के निशानों वाली नम मिट्टी, सबकुछ इतना साफ दिखाई दे रहा था जैसे हम वहीं हों. तभी उन्होंने पूछा, “बच्चों, जंगल का स्कूल कैसा होगा?”

कक्षा में सन्नाटा छाने के बाद आवाजें गूंजने लगीं. किसी ने कहा, “वहां ब्लैकबोर्ड पेड़ का तना होगा और पत्तियां पन्ने!” दूसरे ने कहा, “पक्षी हमें गीत सिखाएंगे और नदी के किनारे बैठकर हम रचनात्मक लेखन का अभ्यास करेंगे!” हवा में सपनों की खुशबू घुल गई. शिक्षक ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, तो आज हम इसी जंगल के स्कूल में पढ़ाई करेंगे.”

प्रश्न:

  1. स्कूल में सुबह का माहौल कैसा होता है?
  2. श्री दत्त जी किस तरह से पढ़ाते हैं?
  3. आज के पाठ का विषय क्या था?
  4. बच्चों ने जंगल के स्कूल के बारे में क्या सोचा?
  5. श्री दत्त जी ने आखिर में क्या कहा?

उत्तर:

  1. स्कूल में सुबह का माहौल जीवंत और उत्साहपूर्ण होता है. बच्चे धीरे-धीरे कक्षा में भरते हैं, शोरगुल और शांत मुस्कान का मिश्रण होता है. किताबें खुलती हैं, पेंसिलें नोंचती हैं और शिक्षक के आने का इंतजार होता है.
  2. श्री दत्त जी कहानियों के माध्यम से पढ़ाते हैं. उनके शब्दों का जादू बच्चों को विषय की गहराइयों में ले जाता है. वे सवाल पूछकर कक्षा को सोचने के लिए प्रेरित करते हैं.
  3. आज के पाठ का विषय जंगल था. श्री दत्त जी ने जंगल का वातावरण और वहां के जीव-जंतुओं के बारे में बताया.
  4. बच्चों ने कल्पनाशील तरीके से सोचा. उन्होंने कहा कि जंगल के स्कूल में पेड़ ब्लैकबोर्ड होंगे, पत्तियां पन्ने होंगे, पक्षी गीत सिखाएंगे और नदी के किनारे बैठकर पढ़ाई होगी.
  5. श्री दत्त जी ने कहा कि आज इसी जंगल के स्कूल में कल्पना के पंख लगाकर पढ़ाई करेंगे.

Apathit Gadyansh 4. सूर्य का परिवार:

अंधकार के विशाल सागर में तैरता हुआ एक चमकता हुआ दीप है, हमारा सूर्य. उसकी किरणें लाखों करोड़ किलोमीटर दूर खोए हुए ग्रहों तक पहुँचती हैं, मानो उनके माथे पर स्नेह से थपकी दे रही हों. ये ग्रह सूर्य के इर्द-गिर्द एक लयबद्ध नृत्य में जुटे हुए हैं, जिसे हम सौर मंडल कहते हैं.

बुध, सबसे चंचल नन्हा भाई, सूर्य के सबसे करीब चक्कर लगाता है. एक तेजपैर धावक की तरह वह महज 88 दिनों में सूर्य की परिक्रमा पूरी कर लेता है. शुक्र, सुंदरता की देवी, धीमी गति से चलती है. उसके बाद आती है हमारी पृथ्वी, जीवन का नीला नखलिस्तान. हरे-भरे जंगल, चंचल नदियाँ, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ और हँसते-खेलते लोग, पृथ्वी का यही सार है.

मंगल, लाल ग्रह, पृथ्वी का ही जुड़वाँ भाई माना जाता था, पर वो रेगिस्तानों की चादर ओढ़े हुए सोया पड़ा है. बृहस्पति, विशाल गैसीय गुरु, सौर मंडल का बादशाह है. उसके कई चंद्रमा उसकी परिक्रमा करते हैं, मानो छोटे-छोटे राजकुमार हों. शनि, वलयों वाला नटखट राजकुमार, अपनी विशाल छत्तरी खोले हुए नाचता है. उसके वलयों की चमक आकाश में हीरे बिखेरती है.

यूरेनस और नेप्च्यून, दूर के ठंडे प्रदेशों में रहने वाले रहस्यमय राजकुमार हैं. उन्हें सूरज का प्रकाश भी उतना गर्म नहीं कर पाता. लेकिन उनके बर्फीले दिलों में भी सूर्य के प्रति वही श्रद्धा और स्नेह है.

यह सौर मंडल हमारा बड़ा परिवार है. सूर्य, पिता की तरह सबको रोशनी और गर्मी देता है. ग्रह, भाई-बहनों की तरह, एक-दूसरे के साथ चक्कर लगाते हुए जीवन का नाटक रचते हैं. और हम, इस नाटक के छोटे पात्र, इस परिवार के अभिन्न अंग हैं.

प्रश्न:

  1. सौर मंडल में कौन-कौन से ग्रह शामिल हैं?
  2. बुध ग्रह की खासियत क्या है?
  3. पृथ्वी को खास बनाने वाला क्या है?
  4. बृहस्पति और शनि की विशेषताएं क्या हैं?
  5. सौर मंडल में सबसे दूर के ग्रह कौन से हैं?

उत्तर:

  1. सौर मंडल में बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून ग्रह शामिल हैं।
  2. बुध ग्रह सूर्य के सबसे करीब है और सबसे तेज गति से उसकी परिक्रमा करता है।
  3. पृथ्वी पर जीवन है, जो इसे सौर मंडल में अनोखा बनाता है।
  4. बृहस्पति सबसे बड़ा ग्रह है और उसके सबसे ज्यादा चंद्रमा हैं। शनि के विशाल और चमकदार वलय प्रसिद्ध हैं।
  5. सौर मंडल में सबसे दूर के ग्रह यूरेनस और नेप्च्यून हैं।

Apathit Gadyansh 5. उत्साही लड़का:

रवि एक उत्साही लड़का था। उसे पतंग उड़ाना बहुत पसंद था। उसके पास रंग-बिरंगी पतंगों का एक बड़ा संग्रह था। आज सुबह, जब हवा हल्की चल रही थी, उसने अपनी सबसे हल्की और सबसे सुंदर पतंग को निकाला। उसने उसे छत पर ले जाकर हवा में छोड़ दिया। पतंग धीरे-धीरे ऊपर उठी और आकाश में नाचने लगी। रवि उसे लंबी डोर से नियंत्रित कर रहा था। वह बहुत खुश था।

कुछ देर बाद, एक तेज हवा चली। पतंग अचानक हिल गई और डोर रवि के हाथों से फिसल गई। वह ऊपर आसमान में उड़ती चली गई। रवि घबरा गया। उसने उसे वापस लाने की बहुत कोशिश की, लेकिन हवा बहुत तेज थी और पतंग दूर चली जा रही थी। आखिर में, वह उसकी नज़रों से ओझल हो गई।

रवि बहुत दुखी था। वह अपनी खूबसूरत पतंग खो चुका था। लेडीन, उसने देखा कि एक छोटा लड़का छत पर खड़ा था और उसकी ओर इशारा कर रहा था। रवि भागकर उसके पास गया। छोटे लड़के ने कहा, “वह देखो, तुम्हारी पतंग मेरे छत पर अटकी हुई है!” रवि खुशी से झूम उठा। उसने छोटे लड़के को धन्यवाद दिया और दोनों मिलकर पतंग को नीचे लाए।

उस शाम, रवि ने सोचा कि भले ही वह अपनी पतंग खो सकता था, फिर भी उसे नए दोस्त बनाकर एक अच्छा इनाम मिला।

प्रश्न:

  1. रवि को क्या पसंद था?
  2. रवि किस प्रकार की पतंग उड़ा रहा था?
  3. क्या गलत हुआ, जिससे रवि दुखी हो गया?
  4. रवि को उसकी पतंग वापस कैसे मिली?
  5. रवि ने उस दिन क्या सीखा?

उत्तर:

  1. रवि को पतंग उड़ाना पसंद था।
  2. रवि हल्की और सुंदर पतंग उड़ा रहा था।
  3. तेज हवा के कारण पतंग उसके हाथ से फिसल गई और गायब हो गई।
  4. छोटे लड़के ने पतंग को अपनी छत पर देखा और रवि को बताया, जिससे वह उसे वापस ले पाया।
  5. रवि ने सीखा कि भले ही चीजें खो सकती हैं, नए दोस्त बनाना एक अमूल्य इनाम है।
Also Read:  21+ Best Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश
Also Read:  25+ Best Apathit Gadyansh for Class 3

Apathit Gadyansh 6. पहाड़ों की पुकार:

पहाड़ों की चोटियों पर लहराते बादल, मानो धुएँ के गुबार उठ रहे हों। घने जंगल के हृदय में छिपी एक झील, जिसका पानी इतना निर्मल है कि आसमान धरती पर सो गया लगे। पहाड़ी हवा अपने साथ सघन देवदार के जंगल की सुगंध, पक्षियों के कलरव और पहाड़ी नदी के मीठे स्वर को लेकर बहती है। हर कदम पर बदलाव का नज़ारा, नीचे घाटी की गहराई, दूर क्षितिज पर फैले खेत, और फिर अचानक सामने खड़ा कोई भव्य शिखर, आह निकल पड़ती है।

पहाड़ों की ख़ूबसूरती बस नज़रों में नहीं समाती, वो दिल को भी दहलाती है। हर मोड़ पर एक नया नज़ारा, हर आहट में एक अनसुना गीत। सुबह सूरज की पहली किरण पहाड़ों को छूती है, तो लगता है मानो वो जग रहे हैं। रात ढलते ही आसमान टिमटिम सितारों से भर जाता है, पहाड़ों पर सफेद चादर ओढ़ाकर उन्हें सुला देता है।

ये पहाड़ सिर्फ पहाड़ नहीं, वो एक अनुभव हैं। वो हमें खुद से मिलाते हैं, अपनी सीमाओं को लांघने की प्रेरणा देते हैं। हर चढ़ाई के साथ जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का हौसल जगाते हैं। शोरगुल भरी दुनिया से दूर शांति का एहसास, जीवन को फिर से जीने की ललक जगाते हैं ये पहाड़।

प्रश्न:

  1. इस लेख में पहाड़ों की सुंदरता का वर्णन किन-किन शब्दों और बिंबों के माध्यम से किया गया है?
  2. लेखक पहाड़ों को “अनुभव” क्यों कहता है?
  3. पहाड़ों की चढ़ाई जीवन की कठिनाइयों से कैसे जुड़ी है?
  4. लेखक पहाड़ों की ओर क्यों आकर्षित होता है?
  5. आपको क्या लगता है, पहाड़ों पर जाने से हम क्या सीख सकते हैं?

उत्तर:

  1. लेख में बादल को धुएँ के गुबार, झील को धरती पर सोया हुआ आसमान, और हवा को सुगंध व स्वर से भरपूर बताकर पहाड़ों की सुंदरता को ज्वलंत बनाया गया है।
  2. लेखक पहाड़ों को अनुभव इसलिए कहता है क्योंकि वो सिर्फ मनमोहक नज़ारे नहीं पेश करते, बल्कि जीवन को समझने और उसमें आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देते हैं।
  3. जीवन में हम अक्सर ऊंचाइयों तक पहुँचने के लिए संघर्ष करते हैं, ठीक उसी तरह पहाड़ों की चढ़ाई भी मुश्किल भरी होती है। इस संघर्ष के दौरान हम अपनी क्षमता का एहसास करते हैं और हार न मानने की सीख लेते हैं।
  4. लेखक पहाड़ों की शांति, ख़ूबसूरती, और चुनौती से आकर्षित होता है। वो वहां खुद को तलाशता है और जीवन का एक नया नज़रिया पाता है।
  5. पहाड़ों पर जाने से हम प्रकृति के साथ जुड़ना सीखते हैं, अपनी सीमाओं को लांघना सीखते हैं, और धैर्य के साथ कठिनाइयों का सामना करना सीखते हैं। वो हमें अपने भीतर शक्ति और संतुलन ढूंढने की प्रेरणा देते हैं।

Apathit Gadyansh 7. नदी का सफर:

पहाड़ों की गोद में छिपी, नदी अपनी चंचल चाल से बहती है। कभी तो वो एक पतली धार की तरह तीव्र गति से गुजरती है, तो कभी शांत चौड़ी झील में अपना रूप बदल लेती है। सुबह की धूप उसके पानी को हीरे की तरह जगमगाती है, रात में चांदनी उसे चांदी की पट्टी ओढ़ा देती है। नदी के किनारे का जंगल उसकी हरी गहरी पन्ना है, जो उसके नीले पानी के साथ एक मनमोहक तस्वीर बनाता है।

नदी सिर्फ पानी का बहाव नहीं, वो जीवन का संगीत है। पहाड़ों से टकराकर गिरते झरने की आवाज़ में गीत छिपे हैं, किनारे की घास में फुसफुसाते पत्तों की सरसराहट ताल देती है। जंगली पक्षियों का कलरव, मछलियों का पानी तोड़कर कूदना, नदी में नहाते बच्चों की किलकारियां, सब मिलकर एक अनूठा राग रचते हैं।

नदी सिर्फ सुंदर नहीं, वो दयालु भी है। वो खेतों को सींचती है, प्यासे जीवों को तृप्त करती है। उसकी गोद में मछलियाँ खेलती हैं, उसके किनारे पशु-पक्षी आराम करते हैं। वो सबके लिए जीवनदायिनी है, निर्मलता और प्रेम का प्रतीक है।

लेकिन आज नदी दुखी है। उसके पानी में कचरा तैरता है, किनारे उजाड़ हो रहे हैं। उसका संगीत अब शोर में खो जाता है। हमने उसे भुला दिया है, उसकी देखभाल करना भूल गए हैं।

नदी एक चेतावनी भी है। वो बताती है कि प्रकृति नाज़ुक है, उसकी उपेक्षा न करें। अगर हमने उसकी रक्षा नहीं की, तो एक दिन उसका संगीत बंद हो जाएगा और हमारी दुनिया सूखी और बेजान हो जाएगी।

प्रश्न:

  1. नदी की सुंदरता और उसकी आवाज़ का वर्णन किन शब्दों और बिंबों के माध्यम से किया गया है?
  2. लेखक नदी को “जीवन का संगीत” क्यों कहता है?
  3. नदी से जुड़े खतरों के बारे में लेखक क्या चिंता व्यक्त करता है?
  4. हम नदी की रक्षा के लिए क्या कर सकते हैं?
  5. आपको क्या लगता है, प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहना क्यों ज़रूरी है?

उत्तर:

  1. धूप में हीरे, चांदी की पट्टी, पन्ना और नीला पानी, झरनों का गीत, पत्तों की सरसराहट, पक्षियों का कलरव आदि शब्दों और बिंबों से नदी की सुंदरता व आवाज़ को सजीव बनाया गया है।
  2. लेखक नदी को जीवन का संगीत इसलिए कहता है क्योंकि उसका हर स्वर और हिलोर जीवन का ही कोई रूप प्रस्तुत करता है, वो प्रकृति का स्पंदन है।
  3. लेखक यह चिंता व्यक्त करता है कि नदी में बढ़ता कचरा, उजड़े किनारे और बढ़ता शोर उसके अस्तित्व के लिए खतरा हैं। हमारी असावधानी से वो अपना संगीत खो सकती है।
  4. नदी की रक्षा के लिए हमें कचरा न फेंकना, उसके किनारे पौधे लगाना, जल का सदुपयोग करना और लोगों को जागरूक करना चाहिए।
  5. प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि प्रकृति ही हमारा जीवन आधार है। उसका विनाश हमारे अपने विनाश का कारण बनेगा। हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए, तभी वो हमें हवा, पानी, भोजन और खुशहाली दे सकती है।

Apathit Gadyansh 8. रंगों का त्योहार:

भारत, रंगों का एक महासागर है. हर कोने में, हर मौसम में, रंगों का एक नया नजारा खुलता है. हिमालय के बर्फीले शिखरों से लेकर केरल के हरे-भरे जंगलों तक, राजस्थान के सुनहरे रेगिस्तान से लेकर गोवा के फ़िरोज़ी तटों तक, प्रकृति ने भारत को एक कलाकार के कैनवास की तरह सजाया है.

वसंत ऋतु में, पीले सरसों के खेत, गुलाबी पलाश के फूल और हरे आम के पत्ते एक मनमोहक तस्वीर बनाते हैं. ग्रीष्म ऋतु में, सूरज की किरणें रेगिस्तान को सुनहरा, आकाश को नीला और आम के पेड़ों को हरा-पीला रंग देती हैं. मानसून के बादल हवा में नीलापन घोलते हैं और धरती को हरे रंग के गलीचे से ढक देते हैं. शरद ऋतु में, पेड़ सुनहरे, लाल और नारंगी पत्तों के आभूषण पहन लेते हैं, मानो प्रकृति एक अंतिम उत्सव मना रही हो.

रंग सिर्फ प्रकृति तक ही सीमित नहीं है. भारत की संस्कृति हर रंग में सराबोर है. होली का बहुरंगी उन्माद, दिवाली का जगमगाता प्रकाश, ओणम के फूलों का कालीन, गणपति का लाल रंग – ये त्योहार भारत की आत्मा की रंगीन अभिव्यक्ति हैं.

रंग भारत की विविधता का भी प्रतीक है. विभिन्न भाषाओं, धर्मों, परंपराओं के साथ मिलकर भारत एक ऐसा इंद्रधनुष है, जहां हर रंग दूसरे के साथ जुड़कर एक अनोखी चमक पैदा करता है.

प्रश्न:

  1. भारत को रंगों के महासागर क्यों कहा गया है?
  2. भारत में अलग-अलग मौसमों में प्रकृति के रंग कैसे बदलते हैं?
  3. भारत की संस्कृति में किन-किन रंगों का महत्व है?
  4. रंग भारत की विविधता का कैसे प्रतीक है?
  5. आपको भारत का कौन-सा रंग सबसे अच्छा लगता है और क्यों?

उत्तर:

  1. भारत में हर क्षेत्र, हर मौसम में प्रकृति ने अनोखे रंगों का नजारा पेश किया है. हर कोने में रंगों का एक नया रूप दिखाई देता है, इसलिए इसे रंगों का महासागर कहा गया है.
  2. वसंत में प्रकृति हरे और पीले रंगों से सराबोर हो जाती है, ग्रीष्म में सुनहरा और नीला रंग छा जाता है, मानसून हवा में नीलापन घोलता है और शरद में पेड़ रंग-बिरंगे पत्तों से सज जाते हैं.
  3. होली के रंग, दिवाली के दीप, ओणम के फूल, गणपति का लाल रंग – ये सब भारत की संस्कृति में महत्वपूर्ण रंग हैं.
  4. भारत में अलग-अलग भाषाएं, धर्म, परंपराएं हैं, जिन्हें मिलकर एक इंद्रधनुष बनाती हैं. हर रंग दूसरे के साथ मिलकर एक अनोखी चमक पैदा करता है, ठीक उसी तरह भारत की विविधता भी एक खूबसूरत इंद्रधनुष की तरह है.
  5. यह सवाल व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है. हर रंग का अपना महत्व और खूबसूरती होती है

Apathit Gadyansh 9. मिट्टी का मस्ताना:

सुबह की पहली किरणें अभी खेतों को छू ही रही थीं कि हरिराम चौधरी हंसिया थामे खेत में खड़ा था. उसकी सांवली त्वचा पर पसीने की बूंदें, हीरों की तरह चमक रही थीं. मिट्टी की सौंधी खुशबू हवा में घुलकर उसे नशा दे रही थी. हरिराम के लिए खेत ही उसका मंदिर, वही उसका खेल का मैदान, वही उसकी पहचान थी.

उसके हाथों की रेखाएं कठिन परिश्रम की कहानी कहती थीं. सूरज निकलने से पहले उठना, बीज बोना, पौधों की देखभाल करना, फसल की कटाई करना – यही उसकी दिनचर्या थी. परंतु, जब वह लहराती फसल को देखता, तो उसकी आंखों में खुशी का गहरा सागर लहराता. यही खुशी, थकान को मिटा देती, हार को जीत में बदल देती.

कुछ लोग उसे मूर्ख कहते थे, खेती को पिछड़ा हुआ पेशा समझते थे. पर हरिराम के लिए खेती सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं थी, बल्कि सृजन की कला थी. वह मिट्टी से बातें करता, फसलों की फुसफुसाहट सुनता, और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाता. उसकी मेहनत का फल, हर साल लहलहाते खेतों और खुशहाल परिवार के रूप में सामने होता.

एक दिन, शहर से लौटा उसका बेटा बोला, “पिताजी, खेती छोड़कर शहर चलो. वहां अच्छा पैसा कमाएंगे, आराम से जिंदगी जीएंगे.” हरिराम ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, शहर में सोना-जगना आसान है, परंतु जीना नहीं. मेरी खुशी इस मिट्टी में बसती है, इन लहराती फसलों में छिपी है. मैं यहीं मिट्टी का मस्ताना बनकर जीना चाहता हूं.”

प्रश्न:

  1. हरिराम चौधरी के लिए खेत का क्या महत्व है?
  2. लेखक ने हरिराम की सांवली त्वचा पर पसीने की बूंदों की तुलना हीरों से क्यों की है?
  3. कुछ लोग खेती को क्यों पिछड़ा हुआ पेशा समझते हैं?
  4. हरिराम खेती को सिर्फ पेट भरने का जरिया क्यों नहीं मानता?
  5. हरिराम अपने बेटे को क्या कहता है?

उत्तर:

  1. हरिराम के लिए खेत उसके जीवन का अभिन्न अंग है. यह उसका मंदिर, खेल का मैदान, पहचान, खुशी का स्रोत और सृजन का स्थान है.
  2. लेखक ने हरिराम की सांवली त्वचा पर पसीने की बूंदों की तुलना हीरों से की है क्योंकि यह उनकी कठिन परिश्रम और प्रकृति के साथ जुड़ाव का प्रतीक है. पसीना उनके लिए मेहनत का गौरव का चिन्ह है.
  3. कुछ लोग खेती को पिछड़ा हुआ पेशा इसलिए समझते हैं क्योंकि इसे आधुनिक और लाभदायक नहीं मानते हैं. वे इसे कम शिक्षा और कठिन परिश्रम से जोड़ते हैं.
  4. हरिराम खेती को सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं मानता क्योंकि वह इसे सृजन की कला समझता है. वह मिट्टी से जुड़ाव, प्रकृति के साथ तालमेल और फसलों को जीवन देने का आनंद पाता है.
  5. हरिराम अपने बेटे को कहता है कि शहर में आराम से जिंदगी जीना आसान है, लेकिन सार्थक जीवन नहीं. वह उसे खेती के महत्व को समझाता है और बताता है कि उसकी खुशी मिट्टी और फसलों के साथ जुड़ी हुई है.

Apathit Gadyansh 10. गुंजन की कहानी:

सुबह के धुंधलके में ही गुंजन सड़क पर निकल पड़ती. उसकी छोटी उंगलियां धूप में सूखे अखबार के गठ्ठर को कसकर थामे रहतीं. नौ साल की उसकी जिंदगी का मैदान यही व्यस्त चौराहा था. कारों की हॉर्नियों के बीच वह अखबार बेचती, हर पैसे के पीछे दौड़ती. स्कूल उसके लिए सिर्फ रंगीन तस्वीरों की किताब थी, जिसे कभी पलटने का समय नहीं मिलता था.

मां की खांसी से छटपटाहट गुंजन के दिल में गहरी चुभती. उसका बचपन सपनों से ज्यादा दवाइयों की खुशबू से महकता था. पिता घर छोड़ गया था, और जिम्मेदारी की बोझिल थैली गुंजन के कंधों पर आ टिकी थी. पढ़ने की लालसा तो थी, पर हर सिक्का उसके परिवार की सांसों से जुड़ा था.

एक दिन, ट्रैफिक लाइट के लाल होने पर गुंजन के पास खड़ी एक महिला ने उसकी आंखों में झांकते सपनों को देखा. उसने पूछा, “पढ़ना चाहती हो, गुंजन?” शब्द गुंजन के लिए चमचमाते हीरे बन गए. उस दिन उसकी जिंदगी के चौराहे पर एक नया रास्ता खुला. स्कूल का दरवाजा उसके लिए खुला, और धीरे-धीरे धुंधलका हटने लगा. अब उसकी दौड़ दवाइयों के लिए नहीं, सपनों को पाने के लिए थी.

प्रश्न:

  1. गुंजन को सुबह-सुबह क्यों निकलना पड़ता है?
  2. लेखक ने कारों की हॉर्नियों के बीच अखबार बेचने को किससे तुलना की है?
  3. गुंजन का बचपन कैसा है?
  4. गुंजन की जिंदगी में बदलाव कैसे आया?
  5. अब गुंजन की दौड़ किसके लिए है?

उत्तर:

  1. गुंजन को सुबह-सुबह अखबार बेचने के लिए निकलना पड़ता है क्योंकि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है और उसे पैसे कमाने की जरूरत है.
  2. लेखक ने कारों की हॉर्नियों के बीच अखबार बेचने को “हर पैसे के पीछे दौड़ना” से तुलना की है. इससे गुंजन के जीवन की कठिन परिस्थितियों और संघर्ष का पता चलता है.
  3. गुंजन का बचपन कठिन है. उसे कम उम्र में ही काम करना पड़ता है. वह स्कूल नहीं जा पाती और उसकी जिंदगी दवाइयों की चिंताओं से घिरी हुई है.
  4. गुंजन की जिंदगी में एक महिला के मिलने से बदलाव आया. उस महिला ने उसकी पढ़ाई में मदद की और स्कूल में दाखिला करवाया. इस तरह गुंजन को उसके सपनों को पूरा करने का मौका मिला.
  5. अब गुंजन की दौड़ अपने सपनों को पाने के लिए है. वह अब पैसे के लिए नहीं, बल्कि एक बेहतर भविष्य के लिए दौड़ रही है.
Also Read:  21+ Best Unseen Passage For Class 3 In Hindi (New)
Also Read:  15+ Important Unseen Passage For Class 7 With Questions And Answers

Apathit Gadyansh 11. माता-पिता: सूरज और चांदनी:

माता-पिता हमारे जीवन के वो सूरज और चांदनी हैं, जो हर पल हमारी राहें रोशन करते हैं. उनकी छाया तले हम सुरक्षित महसूस करते हैं, उनके हाथ सदा बने सहारा और उनकी आंखों में झलकता है वो अनंत प्यार, जिसके बिन जीवन अधूरा है.

सुबह की पहली किरण की तरह हमारे माता-पिता दिन भर मेहनत से हमें खुशहाल जीवन देने की कोशिश करते हैं. पिता की मजबूत भुजाएं हर मुश्किल से हमें बचाती हैं, वहीं माँ का प्रेम और स्नेह हमारे मन को सुकून देता है. वे हमारे पहले गुरु होते हैं, जिन्होंने हमें चलना-बोलना और हंसना-रोना सिखाया. उनके अनुभव, उनकी सीख हमें सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते हैं.

रात की चांदनी की तरह वे हमारे अंधकारमय पलों को भी जगमगा देते हैं. जब हम उदासी से घिर जाते हैं, तो माँ की गोद में ही सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं. पिता की हौसलाअफजाई हमारे टूटे हौसलों को जोड़ देती है. वे हर दुख में साथ खड़े होते हैं, हर खुशी में हमसे ज्यादा खुश होते हैं.

शायद शब्दों में माता-पिता के प्यार को बयां करना मुश्किल है, क्योंकि उनका प्यार अनंत और निःस्वार्थ होता है. वे बिना किसी शर्त के हमारा ख्याल रखते हैं, हमारी खुशियों में खुश रहते हैं और हमारे दुखों में साथ रोते हैं. वे हमें उड़ने के लिए पंख देते हैं, फिर अपने ही हाथों से ज़मीन दिखाते हैं, ताकि हम कभी भटके नहीं.

प्रश्न:

  1. लेखक ने माता-पिता की तुलना किन प्राकृतिक चीजों से की है और क्यों?
  2. सुबह के सूरज के समान माता-पिता क्या करते हैं?
  3. रात की चांदनी के समान माता-पिता क्या करते हैं?
  4. माता-पिता का प्यार क्यों अनंत और निःस्वार्थ कहा जाता है?
  5. आप अपने माता-पिता के प्रति आभार कैसे व्यक्त करेंगे?

उत्तर:

  1. लेखक ने माता-पिता की तुलना सूरज और चांदनी से की है क्योंकि उनकी भूमिका हमारे जीवन में उतनी ही महत्वपूर्ण है. सूरज की तरह वे हमें जगाते हैं, प्रेरित करते हैं और रास्ता दिखाते हैं, वहीं चांदनी की तरह वे हमारे अंधकार को दूर करते हैं और सुकून देते हैं.
  2. सुबह के सूरज के समान माता-पिता दिन भर मेहनत करके हमारे जीवन को खुशहाल बनाते हैं, हमें सुरक्षा देते हैं और सही राह दिखाते हैं.
  3. रात की चांदनी के समान माता-पिता हमारे दुखों को दूर करते हैं, हमारा हौसला बढ़ाते हैं और हर पल साथ खड़े रहते हैं.
  4. माता-पिता का प्यार इसलिए अनंत और निःस्वार्थ कहा जाता है क्योंकि उनकी चिंता हमेशा हमारी खुशियों के लिए होती है. वे बिना किसी शर्त के हमारा ख्याल रखते हैं और अपना सब कुछ हमें देने के लिए तैयार रहते हैं.
  5. अपने माता-पिता के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए हम उनके साथ समय बिता सकते हैं, उनका ख्याल रख सकते हैं और उनसे प्यार का इज़हार कर सकते हैं. उनके हर काम में उनकी मदद करना और उनकी इच्छाओं का सम्मान करना भी आभार व्यक्त करने का एक तरीका है.

Apathit Gadyansh 12. जंगल:

सुबह की धुंधलके में जंगल जाग उठा. पेड़ों की फुनगी पर बैठे पंछी मीठी तान छेड़ने लगे, मानो प्रकृति को जगा रहे हों. हिरणों का झुंड घास के मैदान में मस्ती से कूद रहा था, उनकी टाप-टिप की आवाज हवा में घुल रही थी. बंदरों का एक दल पेड़ों की शाखाओं पर कलाबाजी दिखा रहा था, उनकी शरारत देख जंगल हंस पड़ता था.

नदी के किनारे एक हाथी का परिवार पानी पी रहा था. छोटे हाथी अपनी सूंड से पानी उछालकर खेल रहे थे, उनकी हंसी पूरे जंगल में गूंज रही थी. एक शेरनी पेड़ की ओट में लेटी शावकों को दूध पिला रही थी, उसकी आंखों में मातृत्व का गहरा सागर झलक रहा था.

हर प्राणी, छोटा या बड़ा, जंगल की कहानी का एक महत्वपूर्ण पात्र है. शिकारी और शिकार के बीच का नाजुक संतुलन, परस्पर निर्भरता का जाल, जंगल को एक अनोखा प्राकृतिक मंच बनाता है. जानवरों की भाषा भले ही शब्दों में न हो, परंतु हर फुफकार, हर चीत्कार और हर पंख फड़फड़ाए में एक कहानी छिपी होती है.

जंगल सिर्फ जानवरों का घर नहीं है, बल्कि हमारी सांसों का भी स्रोत है. उनके अस्तित्व से ही, प्रकृति का संतुलन बना रहता है, पानी के चश्मे बहते रहते हैं और हवा स्वच्छ रहती है. इसलिए, हमें इन पशु पक्षियों को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है, ताकि जंगल की कहानी अनंत काल तक चलती रहे.

प्रश्न:

  1. जंगल सुबह कैसे जागता है?
  2. जंगल में कौन-कौन से जानवर रहते हैं?
  3. जानवरों की भाषा शब्दों में क्यों नहीं होती?
  4. जंगल का हमारे जीवन से क्या संबंध है?
  5. हम जानवरों की मदद कैसे कर सकते हैं?

उत्तर:

  1. जंगल सुबह पंछियों के गीतों से, हिरणों के कूदने से और बंदरों की शरारत से जागता है.
  2. जंगल में हिरण, बंदर, हाथी, शेर, शावक आदि जानवर रहते हैं.
  3. जानवरों की भाषा शरीर की हाव-भाव, आवाजों और संकेतों पर आधारित होती है. वे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते.
  4. जंगल हवा को स्वच्छ रखता है, पानी के स्रोतों को बचाता है और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है. इसलिए हमारे जीवन से इसका सीधा संबंध है.
  5. हम जानवरों की मदद के लिए उनका आवास नहीं बिगाड़ेंगे, शिकार नहीं करेंगे और उनके संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाएंगे.

Apathit Gadyansh 13. योग:

सुबह की पहली किरण खिड़की से झांकते ही अहाना की आंखें खुल गईं. आज का दिन अलग था, योग दिवस का दिन. बिस्तर छोड़ते ही वह चटाई बिछाकर आसन में बैठ गई. हवा में शांति छाए थी, सिर्फ उसके सांसों की लय गूंज रही थी. तन को तानते हुए उसने सूर्य नमस्कार शुरू किया. सूरज को प्रणाम करते हुए मन में एक अजीब शांति महसूस हुई.

हर श्वास के साथ तनाव की गांठें खुलती जा रही थीं. पर्वतासन में खड़ी अहाना अपने भीतर की मजबूती का अनुभव कर रही थी. वृक्षासन में संतुलन साधते हुए उसे लगा कि वह जीवन की अनिश्चितताओं के तूफान में भी खड़ी रह सकती है. प्रत्येक आसन के साथ शरीर लचीला बनता जा रहा था और मन चिंताओं से मुक्त होकर विशाल होता जा रहा था.

शवासन में लेटते हुए अहाना ने महसूस किया कि योग सिर्फ शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभव है. शारीरिक मजबूती के साथ ही मन की स्थिरता, संतुलन और एकाग्रता का अहसास हुआ. योग ने उसे खुद से जुड़ने का, अपने भीतर की शक्ति को पहचानने का रास्ता दिखाया था.

अहाना उठकर खड़ी हुई, उसकी आंखों में चमक थी, शरीर में हल्कापन और मन में सुकून. उसने महसूस किया कि योग न सिर्फ उसके शरीर को, बल्कि उसके जीवन को भी स्वस्थ और संतुलित बना सकता है. अब हर सुबह उसी चटाई पर, वही शांति पाने की लालसा उसके साथ थी.

प्रश्न:

  1. अहाना आज का दिन खास क्यों मानती है?
  2. योग के अभ्यास से अहाना को क्या अनुभव हुआ?
  3. शवासन को योग में इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है?
  4. अहाना को योग ने क्या सिखाया?
  5. सुबह योग का अभ्यास करने के क्या लाभ हैं?

उत्तर:

  1. अहाना आज का दिन खास इसलिए मानती है क्योंकि यह योग दिवस है और वह आज योग का अभ्यास करने जा रही है.
  2. योग के अभ्यास से अहाना को शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर लाभ हुआ. उसे तनाव कम होना, शारीरिक लचीलापन बढ़ना, आत्मिक शांति मिलना और संतुलन का अनुभव हुआ.
  3. शवासन में शरीर पूरी तरह शिथिल होता है और मन ध्यान की अवस्था में पहुंचता है. इसलिए इसे योग में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.
  4. योग ने अहाना को खुद से जुड़ना, अपने भीतर की शक्ति को पहचानना, संतुलन और एकाग्रता का महत्व समझना सिखाया.
  5. सुबह योग का अभ्यास करने से शारीरिक मजबूती, तनाव कम होना, एकाग्रता बढ़ना, मन की शांति और दिनभर ऊर्जा का संचार होता है.

Apathit Gadyansh 14. हमारा पृथ्वी:

पृथ्वी, नीला मोती, ब्रह्मांड में हमारा अनमोल नखत. जमीन की हरी कालीन, नीले समुद्र का विशाल सीने, बर्फीली पहाड़ों की चोटियाँ, सब उसी की कहानी कहते हैं. हवा का हर झोंका, पत्तों का सरसराहट, नदियों का बहना, प्रकृति का संगीत बजाते हैं.

लेकिन, नीले मोती पर छाए काले बादल चिंता जगाते हैं. जंगल सिकुड़ रहे हैं, नदी-नाले सूख रहे हैं, पहाड़ घाव खा रहे हैं. हवा को जहरीला धुआं भर रहा है, पानी में घुल रहा है जहर. मानव के लालच ने पृथ्वी के प्राण लूटने शुरू कर दिए हैं.

फिर भी, उम्मीद की किरणें भी दमकती हैं. जंगल बचाने के लिए हाथ उठ रहे हैं, नदियों को स्वच्छ करने के प्रयास हो रहे हैं, सौरभ ऊर्जा का सूरज जगमगा रहा है. बच्चे पौधे लगा रहे हैं, युवा पर्यावरण की आवाज बन रहे हैं. धरती मां की पुकार सुनकर लाखों हाथ उसके घाव भरने को जुटे हैं.

पृथ्वी हमारा घर है, उसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है. रिसाइकिल करके, कम पानी खर्च करके, अपनी कार छोड़कर पैदल चलकर हम सब पृथ्वी मां को खुश रख सकते हैं. छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं. आइए, हाथ मिलाएं और अपने नीले मोती को फिर से जगमगाएं.

प्रश्न:

  1. लेखक पृथ्वी की तुलना किससे करता है?
  2. पृथ्वी पर किन खतरों का सामना हो रहा है?
  3. पृथ्वी के लिए उम्मीद की किरणें क्या हैं?
  4. हम पृथ्वी की रक्षा के लिए क्या कर सकते हैं?
  5. पृथ्वी के लिए छोटे-छोटे कदम क्यों महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर:

  1. लेखक पृथ्वी की तुलना नीले मोती से करता है. इससे पृथ्वी की सुंदरता और अनमोलता का पता चलता है.
  2. पृथ्वी पर जंगल कटने, नदियों के सूखने, पहाड़ों के क्षरण, वायु और जल प्रदूषण जैसे खतरों का सामना हो रहा है.
  3. जंगल बचाने के प्रयास, नदियों की सफाई, सौरभ ऊर्जा का इस्तेमाल, पर्यावरण जागरूकता आदि पृथ्वी के लिए उम्मीद की किरणें हैं.
  4. हम रिसाइकिल करके, कम पानी खर्च करके, पैदल चलकर, साइकिल चलाकर, बिजली कम खर्च करके आदि पृथ्वी की रक्षा कर सकते हैं.
  5. छोटे-छोटे कदम इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि बहुत से लोग मिलकर छोटे-छोटे कदम उठाते हैं तो बड़े बदलाव ला सकते हैं. पृथ्वी की रक्षा के लिए हर किसी का योगदान मायने रखता है.

Apathit Gadyansh 15. चांदनी रात:

चांदनी रात की रानी है, आकाश का मुकुट और सपनों का कैनवास. दिन ढलते ही वह धीरे-धीरे उभरती है, जैसे कोई रहस्य प्रकट हो रहा हो. एक चांदी की थाली, रजनी रातों में रास्ता दिखाती. उसकी शीतल किरणें धरती को सहलाती हैं, पेड़ों को चांदी से नहलाती हैं और कविताओं को जन्म देती हैं.

चांद सिर्फ सौंदर्य से भरपूर नहीं, इतिहास की धरोहर भी है. लाखों साल से वह मूकदर्शक की तरह पृथ्वी के उतार-चढ़ाव देखता आया है. उस पर नरसिंह के पदछाप पड़े हैं, पृथ्वीवासियों के सपने चढ़े हैं और अनगिनत कहानियां रची गई हैं.

लेकिन चांद सिर्फ अतीत का साक्षी नहीं, भविष्य का निमंत्रण भी है. अंतरिक्ष यात्रियों के पहले कदमों के निशान उसके धरातल पर आज भी गवाही देते हैं. वैज्ञानिक उसकी धरती में रहस्यों को तलाश रहे हैं, भविष्य के घर बसाने का ख्वाब देख रहे हैं.

फिर भी, चांद का असली जादू उसकी दूरी में नहीं, बल्कि उसकी निकटता में है. वह रात के अंधेरे में एक साथी की तरह चमकता है, खोए हुओं को रास्ता दिखाता है, प्रेमियों को सपने दिखाता है और कविताओं को साकार करता है.

चांद को देखते हुए हमारी कल्पना उड़ान भरती है. क्या वहां जीवन है? क्या हम वहां पहुंचेंगे? ये सवाल हमारे अंदर एक जिज्ञासा जगाते हैं, हमें खोज करने, सीखने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं.

प्रश्न:

  1. लेखक चांद की तुलना किन चीजों से करता है?
  2. चांद के इतिहास की क्या खासियत है?
  3. वैज्ञानिक चांद पर क्या करना चाहते हैं?
  4. चांद का असली जादू किसमें छिपा है?
  5. चांद को देखने से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर:

  1. लेखक चांद की तुलना रात की रानी, आकाश का मुकुट, चांदी की थाली और कविताओं के कैनवास से करता है.
  2. चांद का इतिहास लाखों साल पुराना है, वह पृथ्वी के उतार-चढ़ाव का गवाह है. उस पर धार्मिक कहानियां जुड़ी हैं और अंतरिक्ष यात्रा का भी हिस्सा है.
  3. वैज्ञानिक चांद पर जीवन की संभावना तलाश रहे हैं, उसके रहस्यों को खोलना चाहते हैं और वहां भविष्य में मानव आवास बनाने की संभावनाएं ढूंढ रहे हैं.
  4. चांद का असली जादू उसकी सौंदर्य, उसकी निकटता और हमारे मन में जगाने वाली कल्पनाओं में छिपा है.
  5. चांद को देखने से हमें अनंत की कल्पना करने, जिज्ञासा को जगाने, खोज करने और नई चीजें सीखने की प्रेरणा मिलती है.
Also Read:  15+ Best Unseen Passage For Class 6 In English
Also Read:  25+ New Unseen Passage For Class 5 In English [ Solved & Unsolved ]

Homeworks of Apathit Gadyansh:

Here are some Apathit Gadyansh available for your own practice. These Apathit Gadyansh are given in image format.

Apathit Gadyansh
Green Plant Polaroid Environment Day Instagram Post 1
Blue And Yellow Digital Marketing Agency Flyer 1
Blue And Yellow Digital Marketing Agency Flyer

FAQs on Apathit Gadyansh:

Q.  What is the meaning of Apathit Gadyansh?
A->  Apathit Gadyansh, translated literally from Hindi, means "unseen passage" or "unfamiliar prose." It refers to a piece of writing that someone is reading for the first time, especially in the context of language learning or testing.

Q.  What's the meaning of Gadyansh?
A->  Gadyansh means "comprehension" or "passage" (prose or verse) – just one word for both!

Q.  What is the meaning of Padyansh?
A->  Padyansh means "poem" or "verse."

Q.  What is the difference between Gadyansh and Padyansh?
A->  Gadyansh is any prose section (story, essay, etc.), while Padyansh refers specifically to poetry. Think "regular text" vs. "rhyming verses."

By Suman

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *