Apathit Gadyansh for class 6: क्या आप कक्षा 6 के लिए अपथित गद्यांश की तलाश कर रहे हैं? यहां अभ्यास के लिए 15 सर्वोत्तम अपथित गद्यांश उपलब्ध हैं। आप इस लेख को बाद में उपयोग करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके PDF के रूप में भी डाउनलोड कर सकते हैं। दोस्तों, क्या कभी पढ़ी हुई कहानी के अलावा भी किसी अनजान कहानी या लेख को समझने का मज़ा लिया है? अगर हां, तो बधाई हो! आपने “अपठित गद्यांश” का स्वाद ले लिया है!

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Apathit Gadyansh for Class 6 with Question Answer:

जरा सोचिए, जब पहली बार बिना किसी तैयारी के किसी अनजान कहानी को पढ़कर हम उसकी पहेलियों को सुलझाते हैं, उसके सवालों के जवाब ढूंढते हैं, तो दिल में कितनी खुशी और गर्व महसूस होता है! वही खुशी तो अपठित गद्यांश हमें देते हैं. तो चलिए आज इसी रोमांचक सफर पर निकलते हैं और देखते हैं कि कक्षा 6 में अपठित गद्यांश कैसे हमारी समझ को तेज करते हैं और हमें बेहतर पाठक बनाते हैं!

1. Apathit Gadyansh for Class 6:

पिछले हफ्ते गप्पू बहुत उदास था। उसका सबसे प्यारा साथी, छोटा सा तोता कल्लू गायब हो गया था। सुबह जब गप्पू ने पिंजरे का दरवाजा खोला, तो कल्लू नहीं था। वह पूरे घर में ढूंढता रहा, पर कल्लू कहीं नहीं मिला। उदास होकर गप्पू ने बगीचे में बैठकर कल्लू को पुकारना शुरू किया, “कल्लू! कहाँ हो कल्लू? वापस आ जाओ!”

अचानक गप्पू को पेड़ पर बैठे किसी चंचल चिड़िया की आवाज सुनाई दी। आवाज बहुत जानी-पहचानी थी! गप्पू दौड़कर पेड़ के पास गया और उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। पेड़ पर कल्लू बैठा था! वह नए-नए शब्द सीखकर गप्पू को चिढ़ा रहा था, “गप्पू पागल! गप्पू बावला!”

गप्पू ने खुशी से कल्लू को पकड़ लिया और घर ले आया। उसने कल्लू को उसके पसंदीदा बीज दिए और हंसते हुए बोला, “कभी मत जाना कल्लू, मुझे बहुत डर लगा था!”

सवाल:
  1. गप्पू क्यों उदास था?
  2. कल्लू गायब होने के बाद गप्पू ने क्या किया?
  3. पेड़ पर गप्पू ने कल्लू को कैसे पहचाना?
  4. कल्लू क्या कर रहा था?
  5. गप्पू ने कल्लू को वापस मिलने पर क्या कहा?
जवाब:
  1. गप्पू का तोता कल्लू गायब हो गया था, इसलिए वह उदास था।
  2. कल्लू को ढूंढने के लिए गप्पू ने पूरे घर में खोजा, फिर बगीचे में जाकर उसे पुकारा।
  3. गप्पू को कल्लू की आवाज जानी-पहचानी लगी, इसलिए उसे पता चला कि वह पेड़ पर है।
  4. कल्लू नए-नए शब्द सीखकर गप्पू को चिढ़ा रहा था।
  5. गप्पू ने कल्लू से कहा कि कभी मत जाना, उसे बहुत डर लगा था।

2. Apathit Gadyansh for Class 6:

गाँव में चाचा मंगलू को सब जादुगर कहते थे। उनकी झोली में हमेशा कोई न कोई हैरतअंगेज चीज छिपी होती! एक दिन, बच्चों का झुंड चाचा के पास आया और जिज्ञासा से पूछा, “चाचा, आपकी टोपी में क्या है?”

चाचा ने अपनी लम्बी सफेद दाढ़ी हिलाई और कहा, “जादू है बच्चों!” फिर उन्होंने टोपी हवा में उछाली और ताली बजाई। अचानक टोपी से रंग-बिरंगे तितलियाँ निकलने लगीं! बच्चे खुशी से चीखने लगे और तितलियों को पकड़ने की कोशिश करने लगे।

कुछ देर बाद, तितलियाँ उड़कर दूर चली गईं। बच्चों ने फिर से पूछा, “चाचा, अब टोपी में क्या है?” चाचा ने मुस्कुराते हुए कहा, “पास आओ, दिखाता हूँ!” बच्चों ने पास आकर देखा कि टोपी में अब मधुर आवाज में चिड़ियाँ चहक रही थीं। बच्चों की आँखें चमक उठीं।

फिर तो बच्चे बारी-बारी से चाचा से टोपी खोलने का अनुरोध करने लगे। हर बार टोपी से कोई नया जादू निकलता – फूल, चॉकलेट, हवा में उड़ने वाले गुब्बारे! बच्चे मस्ती में झूम उठे और चाचा को असली जादूगर मानने लगे।

सवाल:
  1. गाँव में चाचा मंगलू को लोग क्यों ‘जादुगर’ कहते थे?
  2. बच्चों ने सबसे पहले चाचा की टोपी में क्या देखा?
  3. बाद में टोपी से क्या-क्या निकलता रहा?
  4. आखिर में बच्चे क्या मानने लगे?
  5. इस कहानी से आपको क्या सीख मिली?
जवाब:
  1. चाचा की झोली में हमेशा जादुई चीजें होती थीं, इसलिए उन्हें लोग ‘जादुगर’ कहते थे।
  2. बच्चों ने सबसे पहले रंग-बिरंगे तितलियाँ टोपी से निकलते देखा।
  3. बाद में टोपी से फूल, चॉकलेट, हवा में उड़ने वाले गुब्बारे और चिड़ियाँ चहकती हुई निकलती रहीं।
  4. आखिर में बच्चे चाचा को असली जादूगर मानने लगे।
  5. इस कहानी से सीख मिलती है कि खुशी छोटी-छोटी चीजों में छिपी होती है और दूसरों को खुश करने से हमें भी खुशी मिलती है।


3. Apathit Gadyansh for Class 6:

राजू बहादुर, अपनी डायरी में, रोज़ स्कूल के बाद अपने रोमांच लिखता था। आज उसकी डायरी कुछ इस तरह कहती है:

“आज का दिन मेरे लिए बहुत खास रहा। सुबह से ही बरसात हो रही थी, जंगल का रास्ता कीचड़ से भर गया था। फिर भी, दोस्तों के साथ जंगल का रोमांच छोड़ना मुमकिन नहीं था! हम सावधानी से खिसकते हुए नदी तक पहुँचे। नदी का पानी उफन रहा था, लेकिन हम नाव चलाने का बहाना लेकर नदी पार कर गए।

जंगल के अंदर, घने पेड़ों की छतरी के नीचे, एक छोटा-सा झरना छिपा था। झरने का पानी इतना ठंडा और साफ था कि हमें गर्मी का बिल्कुल एहसास नहीं हुआ। हमने वहाँ झूले लगाए, पत्तों की नावें तैरवाईं और खूब हँसे। अचानक, हमारे ऊपर से बंदरों का झुंड गुज़रा! एक बंदर ने मेरी टोपी छीन ली और पेड़ पर चढ़ गया। मैं घबराया नहीं, बल्कि साहसी बनकर पेड़ पर चढ़ गया और बंदर को टोपी लौटाने के लिए राजी किया। बंदर ने बड़े मजे से मेरी टोपी में रखा एक फूल निकालकर खा लिया और टोपी लौटा दी। हम खूब हँसे, बंदर ने भी उछल-कूद करके खुशी जताई।

शाम तक हम जंगल के खूबसूरत नजारों का लुत्फ उठाते रहे। पेड़ों पर चढ़ते, कीचड़ में फिसलते, फिर हँसते हुए उठते-बैठते। लौटते वक्त थकान तो थी, पर दिल में एक अनोखी खुशी भी थी। आज जंगल ने मुझे सिखाया कि असली रोमांच साहस में नहीं, बल्कि प्रकृति को प्यार करने और उसका सम्मान करने में होता है।”

सवाल:
  1. राजू डायरी में क्या लिखता था?
  2. आज उनके जंगल के रोमांच में क्या खास था?
  3. नदी को कैसे पार किया गया?
  4. झरने के पास बच्चों ने क्या किया?
  5. राजू ने पेड़ पर चढ़कर क्या किया?
  6. आज के जंगल के अनुभव से राजू ने क्या सीखा?
जवाब:
  1. राजू अपनी डायरी में रोज स्कूल के बाद अपने रोमांच लिखता था।
  2. आज का दिन खास था क्योंकि बरसात के बाद भी वे जंगल गए, नदी पार की, झरने में मस्ती की और राजू ने बंदर से अपनी टोपी लौटाई।
  3. झरने तक पहुँचने के लिए बरसात से भीगे कीचड़ भरे रास्तों से सावधानी से गुज़रे।
  4. झरने के पास उन्होंने झूले लगाए, पत्तों की नावें तैरवाईं और खूब हँसे।
  5. राजू पेड़ पर चढ़कर बंदर से अपनी टोपी लौटाने के लिए राजी किया।
  6. राजू ने सीखा कि असली रोमांच साहस में नहीं, बल्कि प्रकृति को प्यार करने और उसका सम्मान करने में होता है।

4. Apathit Gadyansh for Class 6:

दीपा की आँखों में आंसू थे। कक्षा समाप्त हो चुकी थी, पर सब बच्चे चले गए थे, सिवाय उसके। उसकी नन्ही गुल्लक हाथ में थी, खाली पड़ी। आज उसका जन्मदिन था, और किसी ने उसकी सबसे प्यारी गुल्लक से सिक्के निकाल लिए थे।

टीचर दीपा की चिंता समझ गईं। उन्होंने धीरे से पूछा, “क्या हुआ दीपा, रो क्यों रही हो?”

दीपा हिचकिचाते हुए गुल्लक की तरफ इशारा किया और फूट-फूटकर रोने लगी। टीचर ने गुल्लक ली और उसे अलमारी में रख दिया। उन्होंने कहा, “चिंता मत करो, गुल्लक को मैं रख लूंगी। कल सुबह देखेंगे।”

अगले दिन सुबह, कक्षा शुरू होने से पहले टीचर ने अलमारी का दरवाजा खोला। अचानक दीपा की आँखें चौड़ी हो गईं। अलमारी में उसकी गुल्लक तो थी, लेकिन अब वह खचाखच भरी हुई थी! वह दौड़कर गुल्लक उठाकर देखने लगी। गुल्लक में सिक्कों के साथ, एक छोटा सा कार्ड भी था। उस पर लिखा था, “जन्मदिन मुबारक दीपा! तुम्हारे अच्छे कामों का इनाम।”

दीपा टीचर को दिखाते हुए खुशी से झूम उठी। टीचर ने मुस्कुराते हुए कहा, “शायद कोई गुमनाम परी तुम्हें शुभकामनाएँ देने आई होगी!”

दीपा ने पूरे दिन सबको बताया कि उसे गुमनाम परी का उपहार मिला है। उसे शायद पता नहीं था कि असल में उसकी दयालुता और अच्छे व्यवहार का ही यह इनाम था। कक्षा के सब बच्चों का ध्यान अब अच्छे कामों की ओर गया। उन्हें लगा, शायद उनके अच्छे कामों का भी कोई जादुई इनाम दे!

सवाल:
  1. दीपा क्यों रो रही थी?
  2. टीचर ने उसकी गुल्लक को क्या किया?
  3. अगले दिन सुबह गुल्लक में क्या बदलाव था?
  4. गुल्लक के साथ क्या मिला?
  5. दीपा की दयालुता और अच्छे व्यवहार का क्या नतीजा हुआ?
जवाब:
  1. दीपा की गुल्लक से सिक्के चुरा लिए गए थे, इसलिए वह रो रही थी।
  2. टीचर ने उसकी गुल्लक को अलमारी में रखकर सुरक्षित कर दिया।
  3. अगले दिन सुबह गुल्लक सिक्कों से भर चुकी थी।
  4. गुल्लक के साथ “जन्मदिन मुबारक दीपा!” वाला कार्ड मिला।
  5. दीपा की दयालुता और अच्छे कामों की वजह से उसे गुमनाम परी का उपहार मिला, जिससे कक्षा के सब बच्चे भी अच्छे काम करने के लिए प्रेरित हुए।

5. Apathit Gadyansh for Class 6:

नन्ही चिड़िया सोनू अपने घोंसले में बैठी चहचहा रही थी। अचानक तेज हवा चलने लगी और एक जोरदार झोंका से उसका छोटा-सा घोंसला पेड़ से उखड़ गया। बेचारी सोनू घबराकर फड़फड़ाने लगी। वह जमीन पर गिर गई और उसके पंख भी कुछ सट गए। सोनू रोने लगी, “अब क्या होगा? मैं उड़ भी नहीं सकती और ये घोंसला भी टूट गया है!”

उसी समय एक बड़ी चिड़िया वहां आई। वह सोनू की मां थी। उसने सोनू को रोते देखा तो पूछा, “बेटा, क्या हुआ?” सोनू ने सारी बात सुनाई। चिड़िया ने उसे हौसला दिया और कहा, “चिंता मत करो, बेटा! हम मिलकर दोबारा घोंसला बनाएंगे।”

मां-बेटी ने मिलकर पत्ते, टहनियां और सूखी घास इकट्ठी की। उन्होंने एक मजबूत नया घोंसला बनाया। अब सोनू खुश थी और फिर से उड़ने लगी। उसने सीखा कि हार मानने की बजाय कोशिश करने से ही मंजिल मिलती है।

प्रश्न:
  1. सोनू के साथ क्या हुआ?
  2. उसकी मां ने उसे क्या कहा?
  3. उन्होंने मिलकर क्या बनाया?
  4. अब सोनू कैसा महसूस कर रही थी?
  5. इस कहानी से क्या सीख मिलती है?
उत्तर:
  1. सोनू का घोंसला तेज हवा में उखड़ गया और वह जमीन पर गिर गई।
  2. उसकी मां ने उसे हौसला दिया और कहा कि मिलकर दोबारा घोंसला बनाएंगे।
  3. उन्होंने मिलकर एक मजबूत नया घोंसला बनाया।
  4. अब सोनू खुश थी और फिर से उड़ने लगी।
  5. इस कहानी से सीख मिलती है कि हार मानने की बजाय कोशिश करने से ही मंजिल मिलती है।

6. Apathit Gadyansh in Hindi for Class 6:

पहाड़ों की गोद में रहने वाले छोटे से गाँव में पप्पू नाम का एक बालक रहता था। पप्पू को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। उसके पास कुछ ही पुरानी किताबें थीं, लेकिन वह उन्हें बार-बार पढ़ता और उनमें खो जाता। खेतों में काम करते समय, रात के सन्नाटे में, हर जगह वह अपनी किताबें निकालकर पढ़ लेता।

एक दिन पप्पू गाँव के बाहर घूम रहा था, तभी उसे सड़क के किनारे एक पुस्तकालय दिखा। उसे बहुत खुशी हुई, वह दौड़कर अंदर गया। वहाँ रंग-बिरंगी किताबों से भरे लम्बे-लम्बे शेल्फ देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। उसने इतनी सारी किताबें कभी नहीं देखी थीं! लाइब्रेरियन उसे किताबें चुनने में मदद करने लगा। पप्पू ने विभिन्न विषयों की किताबें लीं – इतिहास, विज्ञान, कहानियाँ, गीत – वह एक नया संसार खोज रहा था।

उस दिन से पप्पू हर हफ्ते लाइब्रेरी जाता। किताबों ने उसे नए जहान की सैर कराई, अलग-अलग संस्कृतियों के बारे में बताया, और अनगिनत सवालों के जवाब दिए। उसके ज्ञान और सोचने की शक्ति बढ़ती गई। पप्पू अब गाँव के बच्चों को भी किताबें पढ़कर सुनाता और उनमें पढ़ने का शौक जगाता।

प्रश्न:
  1. पप्पू को क्या पसंद था?
  2. उसे सबसे ज्यादा खुशी कब हुई?
  3. लाइब्रेरी में उसने क्या किया?
  4. किताबों ने पप्पू की किस तरह मदद की?
  5. वह अब क्या करता है?
उत्तर:
  1. पप्पू को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था।
  2. उसे सबसे ज्यादा खुशी तब हुई जब उसने गाँव के बाहर लाइब्रेरी देखी।
  3. लाइब्रेरी में उसने विभिन्न विषयों की किताबें पढ़ीं।
  4. किताबों ने पप्पू के ज्ञान और सोचने की शक्ति को बढ़ाया।
  5. अब वह गाँव के बच्चों को किताबें पढ़कर सुनाता और उनमें पढ़ने का शौक जगाता है।

7. Apathit Gadyansh in Hindi for Class 6:

बूढ़ी नानी मीना गाँव की चिट्टियों को कहानियाँ सुनाने में माहिर थी। गाँव का पुराना पीपल का पेड़ उनका अड्डा हुआ करता था। शाम ढलते ही बच्चे पेड़ के नीचे इकट्ठा हो जाते और नानी मीना की ख्यालती आवाज में खो जाते। एक शाम नानी मीना ने सुनाई गिलहरी मुनिया की कहानी:

मुनिया बड़ी चालाक गिलहरी थी। हर सुबह वो नट इकट्ठा करती और बरगद के पेड़ के खोखल में छिपाकर रखती। एक दिन शैतान बिल्ली मुन्ना ने मुनिया को नट इकट्ठा करते देखा। वो मुनिया की हर हरकत पर नजर रखे हुए था। रात को जब मुनिया सोई, मुन्ना पेड़ पर चढ़ने लगा। तभी पेड़ हिलने लगा और नट लुढ़ककर नीचे गिरने लगे। मुनिया की नींद खुल गई। उसने झट से एक तरबूज के टुकड़े पर सवार होकर नीचे खीरे के बेल पर फिसल गई और छिप गई। बेवकूफ मुन्ना टूटे हुए तरबूज को देखता रह गया।

बच्चों को गिलहरी की चतुराई बहुत अच्छी लगी। उन्होंने पूछा, “नानी, अगर मुन्ना बिल में घुस जाता तो?” नानी मीना ने मुस्कुराकर कहा, “मुनिया ने पहले ही बिल के मुहाने पर कांटे बिछा दिए थे। मुन्ना घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पाया और भाग गया!”

बच्चों ने जोर से तालियां बजाईं। नानी की कहानी ने उन्हें सिखाया कि बुद्धि से बड़े से बड़े खतरे का सामना किया जा सकता है।

प्रश्न:
  1. मीना नानी क्या करती थी?
  2. मुनिया किस काम में माहिर थी?
  3. मुन्ना ने मुनिया को क्यों देखा?
  4. मुनिया मुन्ना से कैसे बच गई?
  5. बच्चों ने क्या सीखा?
उत्तर:
  1. मीना नानी बच्चों को कहानियाँ सुनाती थी।
  2. मुनिया नट इकट्ठा करने में माहिर थी।
  3. मुन्ना मुनिया के नट चुराना चाहता था।
  4. मुनिया तरबूज के टुकड़े पर फिसलकर और कांटों की वजह से मुन्ना से बच गई।
  5. बच्चों ने सीखा कि बुद्धि से बड़े से बड़े खतरे का सामना किया जा सकता है।

8. Apathit Gadyansh in Hindi for Class 6:

रानी एक छोटी लेकिन साहसी मधुमक्खी थी। वो अपने छत्ते से दूर चली जाती और खेतों और बगीचों से मीठा रस इकट्ठा करती। एक दिन, रानी एक लाल रंग के चमकते फूलों वाले खेत में पहुँची। उसने उन सुंदर फूलों को कभी नहीं देखा था। रानी उनकी ओर आकर्षित होकर वहाँ रस इकट्ठा करने लगी।

लेकिन तभी, आसमान में एक काली बदली छा गई और तेज हवा चलने लगी। रानी को पता था कि तूफान आने वाला है। वो घबराई और अपने छत्ते की ओर उड़ने लगी। लेकिन हवा इतनी तेज थी कि वो उड़ ही नहीं पा रही थी। रानी एक बड़े गुलाब के फूल पर गिर पड़ी।

तभी, एक छोटी चींटी वहाँ रेंगती हुई आई। उसने रानी को फूल पर बेबस पड़ा देखा। चींटी ने पूछा, “रानी, तुम ठीक हो?” रानी ने हताश होकर कहा, “नहीं, तूफान आ रहा है और मैं उड़ नहीं पा रही!”

चींटी ने कहा, “चिंता मत करो, रानी। मैं तुम्हारी मदद करूंगी।” चींटी ने अपने साथी चींटियों को बुलाया और उन्होंने मिलकर रानी के पंखों को सूखा। हवा कम होने लगी और धीरे-धीरे रानी अपने पंख हिलाने लगी। आखिरकार, वो उड़ान भरने में सफल हो गई।

अपने छत्ते की ओर उड़ते हुए रानी ने पीछे मुड़कर चींटियों को धन्यवाद दिया। उसने सीखा था कि किसी की भी छोटी सी मदद बड़ी मुसीबत में काम आ सकती है।

प्रश्न:
  1. रानी क्या करती थी?
  2. उसे किस खतरे का सामना करना पड़ा?
  3. किसने उसकी मदद की?
  4. चींटियों ने क्या किया?
  5. रानी ने क्या सीखा?
उत्तर:
  1. रानी खेतों और बगीचों से रस इकट्ठा करती थी।
  2. उसे तूफान का सामना करना पड़ा।
  3. एक छोटी चींटी ने उसकी मदद की।
  4. चींटियों ने मिलकर रानी के पंखों को सूखा।
  5. रानी ने सीखा कि किसी की भी छोटी सी मदद बड़ी मुसीबत में काम आ सकती है।

9. Apathit Gadyansh for Class 6th:

रविवार की सुबह सूरज अभी आलस से बिस्तर छोड़ ही रहा था, तभी मम्मी, पापा और मैं चिड़ियाघर जाने के लिए निकल पड़े। रास्ते में तेज हवा बह रही थी, जो चेहरे पर हल्की गुदगुदी करती लगती थी। हमारी गाड़ी जंगल के किनारे चल रही थी, जहाँ पेड़ों की घनी पत्तियों के बीच से चिड़ियों का मधुर स्वर आ रहा था। चिड़ियाघर के गेट पर पहुँचते ही हमारी उत्सुकता और बढ़ गई। रंगीन टिकट लेकर हम अंदर दाखिल हुए।

पहले हम शेर के बाड़े के सामने जा खड़े हुए। शान से टहलता हुआ शेर बिल्कुल राजा जैसा लग रहा था। उसकी भारी दाढ़ी और तेज गर्जना देखकर रोंगटे खड़े हो गए। उसके बगल में उसकी रानी शेरनी सुकून से धूप सेंक रही थी। उनकी शावक झाड़ियों में छिप-छिपकर खेल रही थीं।

आगे बढ़ते हुए हम चिम्पैंजी के पिंजरे के पास रुके। वे आपस में हंसी-मजाक कर रहे थे, कभी टूटी लकड़ी से खेल रहे थे, तो कभी एक-दूसरे को सहला रहे थे। उनकी हरकतें देखकर हमारी हंसी छूट पड़ी। हंसते-हंसते हमने घोंघे, हिरण, बंदर, ज़ेब्रा और मगरमच्छ जैसे कई जानवरों को देखा।

दोपहर होते-होते हमें भूख लगने लगी। चिड़ियाघर के अंदर ही एक छोटे से रेस्तरां में हमने पिकनिक का प्लान बनाया। हवादार छतरी के नीचे स्वादिष्ट खाना खाकर हम फिर घूमने निकल पड़े।

शाम होने की घड़ी आ रही थी, आखिर थकान हावी हो ही गई। लौटते हुए रास्ते में हम मन ही मन सोच रहे थे कि आज का दिन कितना शानदार रहा। चिड़ियाघर में बिताए ये पल जीवन भर याद रहेंगे।

प्रश्न:
  1. रविवार की सुबह चिड़ियाघर जाने के लिए क्यों निकले?
  2. गेट पर पहुँचते ही उनकी उत्सुकता क्यों बढ़ गई?
  3. शेरों को देखकर उन्हें कैसा लगा?
  4. उन्हें सबसे मजेदार कौन से जानवर लगे?
  5. चिड़ियाघर से लौटते हुए उन्होंने क्या सोचा?
उत्तर:
  1. रविवार की सुबह चिड़ियाघर जाने के लिए निकले क्योंकि यह रविवार का दिन था और उनके पास छुट्टी थी।
  2. गेट पर पहुँचते ही उनकी उत्सुकता बढ़ गई क्योंकि वे चिड़ियाघर में कई तरह के जानवर देखने के लिए उत्साहित थे।
  3. शेरों को देखकर उन्हें शक्ति और वीरता का एहसास हुआ। उसकी गरजना सुनकर उन्हें थोड़ा डर भी लगा, लेकिन वह डर जल्दी ही उत्सुकता में बदल गया।
  4. उन्हें सबसे मजेदार चिम्पैंजी लगे क्योंकि उनकी हरकतें बिल्कुल इंसानों जैसी थीं और देखने में बहुत हसी आती थी।
  5. चिड़ियाघर से लौटते हुए उन्होंने सोचा कि आज का दिन कितना शानदार और यादगार रहा। उन्होंने बहुत कुछ सीखा और कई तरह के जानवर देखे। वे इस अनुभव को हमेशा याद रखेंगे।

10. Apathit Gadyansh for Class 6th:

छोटी सी पहाड़ी की चोटी पर एक लकड़ी का घर बना हुआ था। ये कोई आम घर नहीं था, बल्कि एक नन्ही लाइब्रेरी थी! इसकी खिड़कियों से धूप की किरणें झांकती थीं, और दरवाजे पर टंगे घंटी की आवाज़ जंगल की सन्नाटे को तोड़ देती थी। इस लाइब्रेरी की देखभाल शिवानी करती थी, एक दयालु दादी जो बच्चों से उतना ही प्यार करती थीं, जितना किताबों से।

हर सुबह, शिवानी दरवाजा खोलती और लाइब्रेरी अपनी खुशबू फैलाती। बच्चे, किताबों के भूखे तितलियों की तरह, उधर दौड़ पड़ते। कोई जादुई कहानियों में खो जाता, तो कोई जानवरों की दुनिया में झाँकता। कुछ बच्चे इतिहास की रोमांचक यात्राओं पर निकलते, तो कुछ विज्ञान के अनोखे रहस्यों को सुलझाते।

शिवानी इस लाइब्रेरी को सिर्फ किताबों का संग्रहालय नहीं मानती थीं। उनके लिए ये एक जादुई जंगल था, जहाँ बच्चे कल्पना के पंख लगाकर उड़ते थे और ज्ञान के फल तोड़ते थे। वो बच्चों को पढ़ना सिखातीं, नहीं, उन्हें किताबों से दोस्ती करना सिखातीं।

प्रश्न
  1. पहाड़ी पर क्या बना हुआ था?
  2. शिवानी कौन थीं और क्या करती थीं?
  3. बच्चे लाइब्रेरी में क्या करते थे?
  4. शिवानी लाइब्रेरी को क्यों जादुई जंगल मानती थीं?
  5. लाइब्रेरी में बच्चे क्या सीखते थे?
उत्तर
  1. पहाड़ी पर एक नन्ही लाइब्रेरी बनी हुई थी।
  2. शिवानी दयालु दादी थीं, जो लाइब्रेरी की देखभाल करती थीं।
  3. बच्चे लाइब्रेरी में किताबें पढ़ते, कल्पना करते और ज्ञान प्राप्त करते थे।
  4. शिवानी लाइब्रेरी को जादुई जंगल मानती थीं क्योंकि वहाँ बच्चे कल्पना के पंख लगाकर उड़ते थे और ज्ञान के फल तोड़ते थे।
  5. बच्चे लाइब्रेरी में पढ़ना, कल्पना करना और ज्ञान प्राप्त करना सीखते थे।

11. Apathit Gadyansh for Class 6th:

हमारी गली में रहता था एक बूढ़ा चाचा, जिसे सब ‘गली का जादूगर’ कहते थे। असल में वे जादूगर नहीं थे, लेकिन उनके हाथों में ऐसा कमाल था कि साधारण चीजों को भी वो अद्भुत बना देते थे। सुबह होते ही चाचा अपने छोटे से स्टॉल पर बैठ जाते, जहाँ खाली बोतलें, टूटी डॉलियां और बेकार के सामान सज जाते। चाचा की जादू की छड़ी, असल में थोड़ा टेप, कुछ रंग और उनकी कलात्मक उँगलियाँ होती थीं। वो बोतलों को रंगीन पक्षियों में बदल देते, टूटी डॉलियों को नाचती गुड़ियों का रूप देते, और बेकार के सामान से छोटे-छोटे खिलौने बना देते।

बच्चे चाचा के जादू को देखने, उनके हाथों का कमाल देखने, उमस पड़ते ही दौड़ पड़ते। चाचा सबको हँसाते, खुश करते और अपनी कला से सिखाते कि फेंकने के बजाय चीजों को नया जीवन दिया जा सकता है। गली में कचरा कम होने लगा और बच्चों को रचनात्मक बनने की सीख मिली। एक दिन, नगर निगम के अफसर चाचा के पास आए और उनके काम को देखकर दंग रह गए। अब चाचा की कला पूरी गली, नहीं पूरे शहर को सजाएगी!

प्रश्न
  1. गली में किसे ‘गली का जादूगर’ कहा जाता था और क्यों?
  2. चाचा का स्टॉल कैसा होता था?
  3. चाचा क्या जादू करते थे?
  4. बच्चों को चाचा से क्या सीख मिली?
  5. नगर निगम के अफसर चाचा के पास क्यों आए?
उत्तर
  1. एक बूढ़े चाचा को गली का जादूगर कहा जाता था क्योंकि वे बेकार की चीजों को खिलौनों में बदल देते थे।
  2. चाचा का स्टॉल साधारण सामान से भरा होता था, जिसे वे खिलौनों में बदल देते थे।
  3. चाचा बेकार की चीजों को खिलौनों में बदल देते थे, जिससे वो जादू का अहसास देते थे।
  4. बच्चों ने चाचा से रचनात्मक होना और कचरा कम करना सीखा।
  5. नगर निगम के अफसर चाचा की कला से प्रभावित होकर उनकी कला को पूरे शहर में फैलाने के लिए आए थे।

12. अपठित गद्यांश: नन्हीं चिड़िया का सफर:

छोटी सी चिड़िया एक पेड़ की डाल पर बैठी थी। मौसम बहार का था। हवा में एक मीठी खुशबू घुल रही थी। तभी उसकी नजर नीचे सड़क पर दौड़ती हुई कार पर पड़ी। चिड़िया ने सोचा, “काश मैं भी ऐसा उड़ सकती हूँ! कितना मजेदार होगा ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और नीले-नीले समुद्रों को देखना।” एक जोश में भरकर उसने भी उड़ान भरने की कोशिश की। परन्तु, वह धरती से कुछ इंच ही ऊपर उठ पाई और फिर थककर उसी डाल पर आकर बैठ गई। थोड़ी देर उदास बैठने के बाद उसने अपने आप से कहा, “नहीं, मुझे हिम्मत नहीं हारनी है। मैं उड़ना जरूर सीखूंगी।”

उसने दिन-रात मेहनत की। जमीन पर पड़े पत्तों और टहनियों को इकट्ठा करके घोंसला बनाया। फल-फूल खाकर ताकत बढ़ाई। और फिर एक सुबह, जब सूरज ने आकाश में झाँकना शुरू किया, चिड़िया ने पूरी ताकत लगाकर उड़ान भरी। इस बार वह आसानी से पेड़ पार कर गई! फिर कुछ आगे, और कुछ आगे! अंत में वह आसमान में इतनी ऊपर उड़ रही थी कि नीचे सड़क पर दौड़ती कार एक बिन्दी जैसी लग रही थी। चिड़िया की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने घूम-घूमकर सारा नज़ारा देखा और मन ही मन मुस्कुराई।

प्रश्न:
  1. चिड़िया ने उड़ने की कोशिश क्यों की?
  2. पहली बार उड़ने का प्रयास असफल क्यों रहा?
  3. चिड़िया ने अपनी असफलता के बाद क्या किया?
  4. चिड़िया दूसरी बार कैसे उड़ पाई?
  5. अंत में चिड़िया क्यों मुस्कुराई?
उत्तर:
  1. चिड़िया ने कार को उड़ते देखकर इच्छा की कि वह भी ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और नीले-नीले समुद्रों को देखे।
  2. चिड़िया पहली बार उड़ने में असफल इसलिए रही क्योंकि वह अभी छोटी थी और उसे काफी मेहनत करने की आवश्यकता थी।
  3. असफलता के बाद चिड़िया ने हिम्मत नहीं हारी। उसने घोंसला बनाया, ताकत बढ़ाई और उड़ने का अभ्यास करती रही।
  4. दूसरी बार चिड़िया पूरी ताकत लगाकर उड़ी और अभ्यास का फल मिलने से वह आसानी से ऊपर उठ सकी।
  5. चिड़िया अपनी सफलता पर खुश थी। आखिरकार, उसने अपनी इच्छा पूरी कर ली थी और अब वह पहाड़ों और समुद्रों को देख सकेगी।

13. Apathit Gadyansh for Class 6th:

पहाड़ों की गोद में एक गांव बसा हुआ था। वहां रहती थी एक नन्ही परी, जिसका नाम लूसी था। लूसी के बाल बादलों की तरह सफेद थे, आँखें झील के पानी की तरह चमकती थीं और चेहरे पर हमेशा खिली मुस्कान रहती थी। लूसी जादू नहीं करती थी, लेकिन उसकी हर मदद एक जादू की तरह खुशियां बिखेरती थी। वह सुबह-सुबह बूढ़ी दादीओं के आंगन में झाड़ू लगाती, शाम को छोटे बच्चों को कहानियां सुनाती और बीच में फलों का स्वादिष्ट हलवा बनाकर खिलाती। हर किसी के लिए उसकी झोली में हमेशा कोई न कोई खुशहाली होती।

एक दिन, गांव में भयंकर तूफान आया। बरसात की झड़ी लग गई और हवा इतनी तेज चली कि पहाड़ों पर से पेड़ उखड़ते चले गए। लूसी डरी नहीं, बल्कि उसने तूफान के थपेड़ों का सामना किया। छतें उड़ी हुई झोपड़ियों को ठीक करने में मदद की, गिरते पेड़ों से रास्ते साफ किए और बेबस जानवरों की देखभाल की। तूफान थम गया, पर पीछे की तबाही देखकर लूसी दुखी हो गई। अचानक, उसके मन में एक विचार आया। उसने गांववासियों को साथ लिया और मिलकर टूटे झोपड़ों को दोबारा खड़ा किया। फल-फूल उगाने के लिए खेत तैयार किए और बीज बोए। कुछ ही दिनों में गांव पहले से कहीं ज्यादा हरा-भरा और खूबसूरत हो गया।

लूसी जादू नहीं करती थी, लेकिन उसकी मेहनत, बहादुरी और दयालुता हर मुश्किल का समाधान बनती थी। वह पहाड़ी गांव की नन्ही परी थी, जिसकी मदद से खुशियां हमेशा खिली रहती थीं।

प्रश्न:
  1. लूसी को नन्ही परी क्यों कहा जाता है?
  2. लूसी गांव में क्या-क्या करती थी?
  3. तूफान के दौरान लूसी ने क्या किया?
  4. गांववासियों ने तूफान के बाद क्या किया?
  5. लूसी का सबसे बड़ा जादू क्या था?
उत्तर:
  1. लूसी को नन्ही परी इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह हर किसी के लिए खुशियां लाती है और उसकी मदद एक जादू की तरह लगती है।
  2. लूसी बूढ़ी दादीओं की मदद करती थी, बच्चों को कहानियां सुनाती थी और हलवा बनाती थी।
  3. तूफान के दौरान लूसी ने घरों को ठीक करने में मदद की, रास्ते साफ किए और जानवरों की देखभाल की।
  4. गांववासियों ने मिलकर घरों को दोबारा बनाया, खेत तैयार किए और बीज बोए।
  5. लूसी का सबसे बड़ा जादू उसकी मेहनत, बहादुरी और दयालुता का मेल था, जिससे वह हर मुश्किल का हल ढूंढ लेती थी।

14. Apathit Gadyansh for Class 6th:

गप्पू का गाँव पहाड़ों की तलहटी में बसा था। वहाँ खेत लहराते थे, नदियाँ बहती थीं और पक्षियों का संगीत गूँजता था। सबसे हसीन था गप्पू का कबूतर, चिंटू। उसकी नीली चमकती आँखें और सफेद पंख गप्पू को बहुत पसंद थे। लेकिन चिंटू सिर्फ उड़ना नहीं जानता था, वो एक कलाकार भी था!

हर सुबह, गप्पू चिंटू को खेत में ले जाता। वहाँ चिंटू जमीन पर छोटी-छोटी सी टहनियों, पत्तियों और फूलों से अनोखे चित्र बनाता। कभी सूरज, कभी नदी, तो कभी खेत का नक्शा! गप्पू और गाँव के लोग ये चित्र देखकर खूब हँसते। चिंटू की कला देखकर गाँव के सिरपंच को एक विचार आया। उन्होंने एक प्रतियोगिता रखी: हर बच्चे को अपने पालतू पशु से मिलकर कोई कलाकृति बनानी थी।

गप्पू ने तुरंत फैसला लिया। उसने चिंटू से रोज़ाना नदी के किनारे खास तरह की मिट्टी लाने को कहा। फिर, उसे गूंथकर उसने एक नन्हा-सा गाँव का मॉडल बनाया। इसमें खेत, नदी, पेड़-पौधे, सबकुछ था! सबसे खास था नदी के ऊपर बना छोटा-सा लकड़ी का पुल, जिसके दोनों ओर चिंटू के पैरों के निशान बने थे। प्रतियोगिता में सबको गप्पू और चिंटू की कलाकृति खूब पसंद आई। उन्होंने पहला इनाम जीता!

उस दिन से चिंटू सिर्फ पक्षी नहीं रहा, वह गाँव का कलाकार बन गया। गप्पू को भी उसकी हर उड़ान और कलाकारी पर गर्व होता था। उन्होंने मिलकर हर दिन गाँव को एक अनोखे कैनवास में बदल दिया, जहाँ रंगों की खुशबू हर किसी के चेहरे पर मुस्कान बिखेरती थी।

प्रश्न:
  1. गाँव में क्यों सबको चिंटू पसंद था?
  2. गाँव के सिरपंच ने कैसी प्रतियोगिता रखी?
  3. गप्पू और चिंटू ने कैसी कलाकृति बनाई?
  4. उन्हें पहला इनाम क्यों मिला?
  5. गप्पू और चिंटू ने मिलकर क्या किया?
उत्तर:
  1. गाँव में सबको चिंटू इसलिए पसंद था क्योंकि वह कबूतर होने के साथ ही कलाकार भी था।
  2. गाँव के सिरपंच ने एक ऐसी प्रतियोगिता रखी जिसमें बच्चों को अपने पालतू पशु से मिलकर कलाकृति बनानी थी।
  3. गप्पू और चिंटू ने नदी के किनारे से लाई गई मिट्टी से एक नन्हा-सा गाँव का मॉडल बनाया, जिसमें नदी, खेत, पेड़-पौधे और लकड़ी का पुल दिखाया गया था।
  4. उन्हें पहला इनाम उनकी अनोखी और खूबसूरत कलाकृति के लिए मिला, जो उन्होंने मिलकर बनाई थी।
  5. गप्पू और चिंटू ने मिलकर गाँव को एक कैनवास की तरह बनाया, जहाँ उन्होंने अपनी कला के जरिए खुशियां फैलाईं।

15. Class 6 Apathit Gadyansh:

गुलमोहर का छोटा सा पौधा बगीचे के एक कोने में लगा था। वह सूरज की किरणों को पीकर और हवा के झोंकों के साथ नाचकर बड़ा हो रहा था। बगीचे के दूसरे पौधे बड़े-बड़े और हरे-भरे थे, लेकिन गुलमोहर का तना पतला था और उसकी पत्तियाँ थोड़ी धुँधली सी लगती थीं।

एक दिन, हवा में उड़ते हुए एक तितली ने गुलमोहर के पास आकर विश्राम किया। तितली ने गुलमोहर को निहारते हुए कहा, “तुम इतने छोटे और कमजोर क्यों दिखते हो? बगीचे के दूसरे पेड़ तो तुमसे कहीं ज्यादा बड़े और मजबूत हैं।”

गुलमोहर ने धीरे से कहा, “मैं छोटा जरूर हूँ, लेकिन मेरा भी एक सपना है। मैं एक दिन सबसे ऊँचा पेड़ बनना चाहता हूँ और अपने फूलों से पूरा बगीचा सराब कर देना चाहता हूँ।”

तितली हँस पड़ी और बोली, “लेकिन तुम तो इतने कमजोर हो! तुम्हारे फूलों का रंग भी उतना गहरा नहीं होगा जितना बड़े पेड़ों का होता है।”

गुलमोहर ने हार नहीं मानी। उसने हर रोज सूरज की किरणों को सोखना और हवा के झोंकों के साथ झूमना जारी रखा। वह धीरे-धीरे बड़ा होता गया और उसकी पत्तियाँ भी गहरी हरी हो गईं।

वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही गुलमोहर पर लाल रंग के खूबसूरत फूल खिलने लगे। बगीचे में चारों तरफ गुलमोहर की सुगंध फैल गई। बड़े-बड़े पेड़ भी गुलमोहर की सुंदरता और खुशबू से अभिभूत हो गए।

आखिरकार, गुलमोहर अपना सपना पूरा कर लिया। वह बगीचे का सबसे ऊँचा पेड़ बन गया और उसके खूबसूरत फूलों ने पूरे बगीचे को सराब कर दिया। अब बगीचे के सभी पेड़ गुलमोहर का सम्मान करते थे और उसकी सुंदरता की प्रशंसा करते थे।

प्रश्न:

  1. गुलमोहर का सपना क्या था?
  2. गुलमोहर को कमजोर क्यों कहा गया?
  3. गुलमोहर ने अपना सपना कैसे पूरा किया?
  4. बगीचे के दूसरे पेड़ों के बारे में क्या बताया गया है?
  5. इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर:

  1. गुलमोहर का सपना सबसे ऊँचा पेड़ बनना और अपने फूलों से पूरा बगीचा सराब कर देना था।
  2. गुलमोहर छोटा और पतला था, इसलिए उसे कमजोर कहा गया।
  3. गुलमोहर ने हर रोज सूरज की किरणों को सोखते हुए और हवा के झोंकों के साथ झूमते हुए धीरे-धीरे बढ़ना जारी रखा। अंत में, वह सबसे ऊँचा पेड़ बन गया और उसके खूबसूरत फूलों ने पूरा बगीचा सराब कर दिया।
  4. बगीचे के दूसरे पेड़ बड़े-बड़े और हरे-भरे थे। पहले तो उन्होंने गुलमोहर को कमजोर समझा, लेकिन बाद में उसकी सुंदरता और खुशबू से अभिभूत हो गए।
  5. इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हार न मानते हुए मेहनत करते रहना चाहिए। चाहे कितने भी छोटे या कमजोर क्यों न हों, अगर हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए दृढ़ रहें तो हम उन्हें अवश्य प्राप्त कर सकते हैं।

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By Suman

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